देहरादून: उत्तराखंड सरकार अगले महीने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारी में जुटी है। पंचायतीराज विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग इस दिशा में सक्रिय हैं। हालांकि, राज्य में मानसून के दौरान होने वाली भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं की आशंका के बीच चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
प्रदेश में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल 2024 में समाप्त हो गया था, जिसके बाद से पंचायतों में दो बार प्रशासकों की नियुक्ति की जा चुकी है। अब सरकार चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है और आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद जुलाई में चुनाव प्रस्तावित हैं।
हालांकि, स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मानना है कि राज्य गठन के बाद यह पहला मौका होगा जब पंचायत चुनाव बरसात के मौसम में होंगे। उनका कहना है कि भारी बारिश के कारण मतदान प्रतिशत पर सीधा असर पड़ सकता है और दूरदराज के इलाकों में मतदान कर्मियों को पहुंचने में भी कठिनाई होगी।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2019 में हुए पिछले पंचायत चुनाव में 69.59 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिसमें ऊधमसिंह नगर में सबसे अधिक 84.26 फीसदी और अल्मोड़ा में सबसे कम 60.04 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। पर्वतीय जिलों जैसे पौड़ी, रुद्रप्रयाग और टिहरी में मतदान प्रतिशत पहले से ही कम रहा है।
पंचायत संगठन के प्रदेश संयोजक जगत मार्तोलिया ने कहा कि बरसात में पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जैसे पर्वतीय जिलों में नदी-नाले उफान पर रहते हैं और भूस्खलन से रास्ते बाधित हो जाते हैं, जिससे मतदान प्रभावित हो सकता है।
वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि पंचायत चुनाव के लिए राज्य सरकार से विचार-विमर्श किया जाना है। बारिश के कारण चुनाव को ज्यादा समय तक टाला नहीं जा सकता। आयोग बरसात के साथ-साथ अन्य सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारियों के साथ आपातकालीन योजना पर विचार करेगा।
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