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उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार और मेले - List of Fairs & Festival in Uttarakhand

(@bhawnamehta)
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What is the famous fairs & festival of Uttarakhand?

List of 30 fairs & festivals of Uttarakhand.

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  1. Kumbh Mela 
  2. Basant Panchami
  3. Harela
  4. Holi (Kumaoni Holi)
  5. Makar Sankranti
  6. Ghughutia
  7. Phool Dei
  8. Bhitauli
  9. Ghee Sankranti (Ghee Tyar)
  10. Ganga Dusshera 
  11. Kandali
  12. Vat Savitri
  13. Kanwar Yatra
  14. Nanda Devi Raj Jat Yatra
  15. Purnagiri Fair
  16. Syalde Bikhauti Fair
  17. International Yoga Festival, Rishikesh
  18. Magh Mela
  19. Uttarayani Mela
  20. Bissu Fair
  21. Bagwal Fair
  22. Chhipla Jaat
  23. Khatarua
  24. Janopunya
  25. Hill Jatra
  26. Guru Kailapeer Fair
  27. Haatkalika Fair
  28. Jageshwar Fair
  29. Somnath Fair (Masi Fair)
  30. Jauljibi and Thal Fair
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(@dheeraj)
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उत्तराखंड में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार 

मकर संक्रांति ( घुघुतिया त्यौहार )

यह त्यौहार कुमाऊँ क्षेत्र में माघ माह के 1 गते (जनवरी) माह में मनाया जाता है। स्थानीय (local) भाषा में इस त्यौहार को घुघुतिया त्यौहार या काले - कौआ त्यौहार भी कहते है। इस पर्व पर आटे में गुड का पानी मिला कर इस से घुघुते बनाए जाते है, और बच्चे इन घुघुत को कोऔं को खिलाते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे ' खिचड़ी ' त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

घी - संक्राति ( ओलगिया )

घी - संक्राति भादों (भाद्रपद) माह के 1 गते को मनाया जाता है। यह पर्व फसलों में बालिया लग जाने पर मनाया जाता है, इस दिन सभी लोग घी को खाते और अपने सिर पर भी लगाते है। यहाँ की मान्यताओ के अनुसार यदि इस दिन जो व्यक्ति घी को नहीं लगता है तो उसे मरने के बाद गनेल का रूप मिलता है।

फूल संक्राति ( फूलदेई )

फूलदेई त्यौहार चैत्र माह के 1 गते (हिन्दू वर्ष का पहला दिन) को मनाया जाता है। इस दिन बच्चे घर- घर जाके दहेलियों में फूल को चढ़ते और चावल भी मांगते है। इसमे बच्चे एक गाना भी गाते है- "फूल देई छमा देई, जुतके दिछा उतके सही, तुमर भकार भारी जो हमेरी टुपेरी भरी जो "

बिखोती ( विषुवत संक्राति )

बिखोती त्यौहार बैशाख माह के पहले (प्रथम) दिन को बनाया जाता है।

हरेला त्यौहार

हरेले का त्यौहार श्रावण माह की 1 गते को मनाया जाता है। यहाँ के लोग इसे अपनी भाषा में इसे "हरियाऊ" भी कहते है। इस पर्व में हरेले (मक्के के दाने) को भोया जाता है। बाद में इसे काट कर भगवान को चढ़ाया जाता है।

खतड़वा त्यौहार

खतड़वा त्यौहार कुमाऊँ क्षेत्र में अश्विन माह की संक्राति को मनाया जाता है। खतड़वा त्यौहार को पशुओं का त्यौहार या गो त्यौहार भी कहा जाता है। इस दिन लोग चीड़ व अन्य वृक्षों की शाखाओं को काटकर सुखी घास - फूस को इकठ्ठा किया जाता है जिसे ' खतडुवा ' कहते हैं, एक गते को खतडुवा को जलाया जाता हैं। खतड़वा के दिन लोग जोर- जोर से गाते हुए कहते है- "खतड़वा की हार, गाय की जीत "

चैतोल त्यौहार

चैतोल त्यौहार में चैत माह की अष्टमी को देवल देवता ( शिवजी के अंश ) की पूजा की जाती है।

आँठू

यह त्यौहार भाद्रपद मास की सप्तमी व अष्टमी को मनाया जाता है। इस त्यौहार में चांचरी नृत्य का आयोजन किया जाता है। इस त्यौहार में गोरा - महेश्वर की पूजा की जाती है।

कलाई

यह त्यौहार कुमाऊँ में फसल काटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

जागड़ा त्यौहार

यह महासू देवता का त्यौहार है। यह भाद्र मास को मनाया जाता है।

नुणाई त्यौहार

नुणाई त्यौहार श्रावण मास में मनाया जाता है। यह जौनसार बाबर क्षेत्र का प्रमुख त्यौहार है।

भिरोली

यह त्यौहार संतान कल्याण हेतु मनाया जाता है।

दीपावली ( बग्वाल )

 इस त्यौहार में भैला - खेल खेला जाता है। थारू जनजाति में इसे शोक पर्व के रूप में मनाया जाता है।

रक्षा बन्धन

 रक्षा बन्धन त्यौहार को गांव में ' जन्मो - जन्यो ' भी कहा जाता है, और यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। और रक्षा बन्धन त्यौहार में बहनें अपने भाई को राखी बांधती है।

बसंत पंचमी

बसंत पंचमी हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है और बसंत पचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है । यह त्यौहार माघ के महीने में शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है | सभी ऋतूओ में से वसंत को सभी ऋतूओ का राजा माना जाता है , इसी कारण इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है तथा इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है | इस ऋतु में खेतों में फसले लहलहा उठती है और फूल खिलने लगते है एवम् हर जगह खुशहाली नजर आती है।

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(@Vijay kumar)
New Member Guest
Joined: 1 year ago
Posts: 1
 

Very good 


   
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(@Vaishnavi negi)
New Member Guest
Joined: 12 months ago
Posts: 1
 

Spoiler
Yup very good


   
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