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🏔️ स्थानीय त्योहार और मेले अब कम क्यों हो रहे हैं?

PahadOne
जानकार साथी
Joined: 5 years ago
Posts: 168
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पहाड़ की पहचान सिर्फ़ उसकी वादियों और नज़ारों से नहीं है, बल्कि यहाँ की संस्कृति और परंपराओं से भी है। पहले गाँव-गाँव में मेला, बग्वाल, जागर, लोक नृत्य जैसे आयोजन धूमधाम से होते थे। लोग एक-दूसरे से जुड़ते थे, रिश्ते मज़बूत होते थे और लोककला को पहचान मिलती थी।

लेकिन अब ये आयोजन कम होते जा रहे हैं। कारण हो सकते हैं:

  • युवाओं का पलायन → शहरों में रोज़गार की तलाश

  • आर्थिक तंगी → आयोजन के लिए धन की कमी

  • डिजिटल युग → अब लोग मनोरंजन ऑनलाइन ढूँढ लेते हैं

  • प्रशासनिक सहयोग की कमी

👉 सवाल है:

क्या यह बदलाव हमारी संस्कृति को नुकसान पहुँचा रहा है?

आपके गाँव या कस्बे में आखिरी बार बड़ा मेला या त्योहार कब हुआ था?

🗣️ नीचे अपने अनुभव, फ़ोटो या यादें साझा करें।
आइए, इस चर्चा से जानें कि कैसे हम अपनी संस्कृति को फिर से जीवंत बना सकते हैं। 🌸


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Kedy reacted
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Kedy
 Kedy
जनचर्चा मित्र
Joined: 4 years ago
Posts: 14
 

गाँव में अब लोग कम रह गए, ज्यादातर बाहर नौकरी करने चले जाते हैं, इस वजह से मेले सूनसान हो रहे हैं।



   
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KSB
 KSB
लोक प्रेरक
Joined: 5 years ago
Posts: 100
 

पहले मेले में पूरा गाँव जुड़ता था, अब लोग मोबाइल और सोशल मीडिया पर ज़्यादा व्यस्त हैं।


Dil se Pahadi...


   
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