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हमारे गांव में भी कई प्राकृतिक पानी के श्रोत थे और अब ये धीरे धीरे लुप्त हो गए हैं, कभी कभी सिर्फ बरसात में ही चलते दिखाई देते हैं। पहाड़ों के मीठे जल...
ये भोटिया कुत्ते पालने हैं तो munsyari या पिंडारी गाँव की तरफ़ जाओ, वह की ब्रीड अच्छी है। लेकिन वो गरम माहोल में सही से नहीं रह पाते उन्हें ठंडा पसंद ...
बिलकुल, क्यूँ नहीं होंगी। अब कुछ ही बड़े लोग बचे हैं जो हमारी संस्कृति ओर परम्पराओं को संजोए हुए हैं। लेकिन अब उन्हें भी युवाओं के साथ की ज़रूरत है वर...
पहले मेले में पूरा गाँव जुड़ता था, अब लोग मोबाइल और सोशल मीडिया पर ज़्यादा व्यस्त हैं।
हमारे गाँव में लोग अभी भी धान की बुआई करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे खेती छोड़ रहे हैं।
हाहाहा, देखो अभी कहाँ कहाँ तक पहुँच सकता है और इसकी खेती कौन करता है।
मज़े लगता है की स्मार्ट मीटर से सही रीडिंग आती है, लेकिन कई बार टेक्निकल गड़बड़ी से ज़्यादा बिल बन जाता है। लेकिन जो उसमें लगातार लाइट जलती है उसका कु...
nahi pahuch rahi hain, sirf paper or yojnaon mein hi hain. Digital Seva logo tak kaise pahuchegi jab tak ko gaon ki problem ko upar tak na pahuchye.
humare gram sabha mein kuch gaon mei Pani ki bahut samasya hai, lekin samsya isliye nahi ki pani nahi hai, balki isliye hai ki pani ko sahi se upyog k...
Uttarakhand Films in Local Languages Garhwali Films: Film Name Year of Release Chamoli (छमोली) 1967 Garhwal Ki Rani (गढ़वाल क...